एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल पर एनएसयूआई का तीव्र विरोध

 एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल पर एनएसयूआई का तीव्र विरोध

हाल ही में एनसीईआरटी द्वारा जारी "Partition Horrors Remembrance Day" मॉड्यूल में भारत के विभाजन की संपूर्ण जिम्मेदारी केवल मोहम्मद अली जिन्ना, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और लॉर्ड माउंटबेटन पर डालने का प्रयास किया गया है। इसमें कहा गया है कि "जिन्ना ने विभाजन की मांग की, कांग्रेस ने स्वीकार किया और माउंटबेटन ने जल्दबाजी में लागू किया।"


एनएसयूआई गोंदिया जिला अध्यक्ष अमन तिगाला ने इस बदलाव को इतिहास के साथ गंभीर छेड़छाड़ बताते हुए कहा कि –

> "शिक्षा का आधार सत्य होना चाहिए, न कि राजनीतिक प्रचार। छात्रों को असत्य और एकतरफा इतिहास पढ़ाना लोकतंत्र और राष्ट्र की सामूहिक स्मृति के साथ अन्याय है।"

उन्होंने कहा कि मूल एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में विभाजन के कारणों को संतुलित ढंग से प्रस्तुत किया गया था, जिसमें ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता की फूट डालो और राज करो नीति, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण, आर्थिक परिस्थितियाँ और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का वैश्विक दबाव – इन सभी कारकों को जिम्मेदार माना गया था।

प्रतिष्ठित इतिहासकारों जैसे प्रो. बिपन चंद्र, प्रो. रामचंद्र गुहा, प्रो. मुशीरुल हसन, प्रो. इरफ़ान हबीब और प्रो. आदित्य मुखर्जी ने भी यह स्पष्ट किया है कि विभाजन बहुआयामी कारणों का परिणाम था, न कि केवल तीन व्यक्तियों के निर्णय का।

एनएसयूआई गोंदिया ने अपनी ओर से निम्नलिखित मांगें रखी हैं –

1. एनसीईआरटी द्वारा जारी नए मॉड्यूल को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।

2. मूल एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को पुनः लागू किया जाए, जो विद्वत्तापूर्ण दृष्टिकोण और ऐतिहासिक सच्चाई पर आधारित था।


आज इस बाबत एक ज्ञापन केंद्रीय शिक्षा मंत्री मा. धर्मेंद्र प्रधान जी को उप जिलाधिकारी गोंदिया के माध्यम से प्रेषित किया गया।

प्रतिनिधिमंडल में NSUI गोंदिया जिला उपाध्यक्ष राहुल बावनथडे, गोरेगांव तालुका अध्यक्ष प्रिंस ऊके, आशिक बिसेन ,सौरभ सोनेवाने, सुशील राहंगडाले सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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